Tuesday, 3 December 2019

ख़ामोशी को तोड़ने का ईमानदार प्रयास

लम्हों ने खता की थी सदियों ने सजा पाई !!
लुधियाना: 3 दिसंबर 2019: (शीबा सिंह//जीटी रोड ब्यूरो):: 
जीटी रोड अर्थात ग्रैंड ट्रंक रोड। हालाँकि जीटी रोड खुद तो नहीं चलती है लेकिन इस पर चलने वालों का सफर बहुत लम्बा है। जीटी रोड ने ने बहुत बड़े बड़े लोगों, राजाओं, बादशाहों और मंत्रियों के हैं। बड़ी बड़ी सेनाओं के लाम लश्कर भी देखे हैं। घर से बेघर हुए दुखी और गरीब लोगों  देखे हैं। बहुत कुछ देखती है जीटी रोड लेकिन फिर भी चुप रहती है। इस चुप्पी को तोड़ने की एक विनम्र सी कोशिश है यह ब्लॉग-जीटी रोड। इस ख़ामोशी से बहुत ही ईमानदार सवाल करने की एक कोशिश है यह ब्लॉग-जीटी रोड। जो जो दर्द और रहस्य भी छुपा रखा है इस विशाल और ऐतिहासिक मार्ग ने उसे जानने का एक हमदर्दी भरा प्रयास है यह ब्लॉग-जीटी रोड। एक निवेदन आप से भी है कि इस कोशिश को सफल बनाने में सहायक बनना। यह सवाल सिर्फ मुझे नहीं पूरे समाज के मन में उठने चाहिए थे। इस लिए ये सवाल भी आप सभी के हैं। इनके जो जवाब होंगें वे भी आप सभी के होंगें। एक बहुत  है: मशहूर शायर मुजफ्फर रज्मी ने कभी लिखा था:लम्हो ने खता की थी सदियों ने सज़ा पाई 
देखिये पूरी नज़्म भी एक नज़र:
महरूम-ऐ-हकीक़त है साहिल के तमाशाई !
हम डूब के समझे है दरिया की गहराई !!
     चल ए मेरे हमसाया बरगद के तले बैठे !
     दीवार से आगन मे अब धुप उतर आई !!

चलते हुए बादल के साये मे ता-आ-कुब मे !
यह तशनालबी मुझको शहरों मे ले आई !!

     यह जब्र भी देखा है तारीख की नज़रों से !
     लम्हों ने खता की थी सदियों ने सजा पाई !!

जिस वक़्त छिड़ा किस्सा "रजमी" की तबाही का !
क्यों आपकी आँखों मे उस बक्त नमी आयी !!

इस खता और इसकी सज़ा का चर्चा इस लिए ज़रूरी लगा क्यूंकि इस तरह की खताओं-इस तरह की गलतियों का सिलसिला साज़िशाना ढंग से लगातार जारी है। अफ़सोस कि इन गलतियों का खमियाज़ा आम लोग निरंतर भुगत रहे हैं। आम इंसान ने चाहा ही क्या था? सिर्फ दो वक़्त की रोटी? तन ढकने के लिए कपड़ा और सिर छुपाने के लिए एक अध् छत? बस इन मूलभूत सुविधायों की चाहत का कसूर इतना भयानक कि उसकी सज़ा कभी भी न खत्म होने वाला श्राप बन गई!
अफ़सोस इस देश के कर्णधारों के साथ साथ विपक्ष में बैठे लोगों ने भी बस इन आम लोगों की तबाही का तमाशा देखा। इनको कभी भी लोगों पर तरस नहीं आया।  शोषण के खिलाफ लड़ने के दावे करने वाले भी शोषण में ही मशगूल रहे। बहुत ही सूक्ष्म ढंग से शोषण करते रहे। बहुत ही योजनाबद्द ढंग से शोषण करते रहे। बहुत ही कमीनगी से इसी शोषण का नाम ले कर अपनी सियासी रोटियां सेंकते रहे। 
यह ब्लॉग-जीटी रोड हर आम इंसान के साथ के खिलाफ कमीनगी की हदें पर करने वाले इन सफेदपोश लोगों को बेनकाब भी करेगा। आपको साथ आना ही होगा--आज नहीं तो कल। जितनी देर होगी उतनी ही समस्या गंभीर होती जाएगी। इसलिए बदलाहट के लिए आगे आने के सिवा कोई चारा भी नहीं रहेगा। 

ख़ामोशी को तोड़ने का ईमानदार प्रयास

लम्हों ने खता की थी सदियों ने सजा पाई !! लुधियाना : 3 दिसंबर 2019 : ( शीबा सिंह // जीटी रोड ब्यूरो )::  जीटी रोड अर्थात ग्रैंड ट्र...